



न्यूज डेस्क मधुबनी:
गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सीआरपीसी, आईपीसी और एविडेंस एक्ट के पुराने कानून में बदलाव लाते हुए नए कानून बनाए गए हैं। इस कानून में क्राईम के अलग-अलग पहलुओं के आधार पर सजा का प्रावधान किया गया है। बताते चलें कि नए कानून के तहत मोटर व्हीकल एक्ट में भी कुछ जरूरी बदलाव किए गए हैं जिससे देश भर के वाहन चालक खास कर कमर्शियल ट्रांसपोर्ट से जुड़े लोगों ने 1 जनवरी से राष्ट्रव्यापी चक्का जाम कर प्रदर्शन कर रहे हैं।
जिले के लौकहा बस स्टैंड में भी सोमवार को स्टैंड इंचार्ज मो गुड्डू खान के नेतृत्व में बस, ऑटो सहित अन्य वाहन चालकों ने सड़क किनारे गाड़ी खड़ी कर चक्का जाम का आह्वाहन करते हुए नए मोटर एक्ट का विरोध किया है। ऑटो चालक मो सत्तार ने कहा कि नया कानून एक काला कानून है जिसमें मामूली तनख्वाह पर काम करने वाले गरीब वाहन चालक को रौंदने की कोशिश की जा रही है। खास कर हिट एंड रन केस में मिलने वाले आर्थिक दंड व कारावास की सजा को लेकर विरोध किया जा रहा है। कुछ लोगों के अनुसार पुराने कानून का लचीला होने के कारण आए दिन सड़क हादसे में निर्दोष की जान चली जाती थी और चालक फरार हो जाते थे। ऐसे में सरकार ने कहा कि घायल व्यक्ति को छोड़कर भागना गंभीर अपराध है जबकि अगर चालक सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को ईलाज के लिए अस्पताल पहुंचाता है तो फिर सजा में रियायत बरती जाएगी। वहीं अंग्रेजो के पुराने कानून में सजा के नाम पर खानापूर्ति कर अंग्रेजों को बचाने वाले कानून बनाए गए थे। क्योंकि ब्रिटिश काल में शायद ही कुछ भारतीय वाहनों से सफर करते थे जबकि अधिकतर गोरे सड़क पर फर्राटे लगाते और ऐसे में किसी की जान चली जाती तो हल्के कानून के आड़ में बच जाते।
बता दें कि 1 जनवरी से 3 जनवरी तक चक्का जाम रखने की बातें कही जा रही है। प्रर्दशन कर रहे चालकों की मांग है कि अगर दुर्घटना के बाद वो घायल को अस्पताल पहुंचाने के चक्कर में अगर भीड़ के हाथ लग जाते हैं तो उनसे मारपीट की जाती है और हत्या तक कर दी जाती है। इसीलिए जान बचाने के डर से चालक भागने की कोशिश करते हैं। उन्होने कहा कि या तो सरकार इस काले कानून में बदलाव करे या फिर लोगों के लिए भी ऐसा ही सख्त कानून बनाए जिससे कोई भीड़ किसी से मारपीट कर उनकी हत्या न कर दे। फिल्हाल चक्का जाम रहने से नववर्ष जैसे महत्वपूर्ण दिन में लोगों को यातायात को लेकर परेशानी झेलनी पड़ी।