सुपौल: राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत शिक्षकों के लिए कार्यशाला आयोजित

न्यूज डेस्क सुपौल:

सुपौल जिले में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (NTCP) के अंतर्गत बुधवार को सदर अस्पताल, सुपौल के सभागार में तंबाकू मुक्त शिक्षण संस्थान (ToFEI Guideline) के प्रावधानों पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में जिले के सभी प्रखंडों से आए शिक्षकों ने भाग लिया।

कार्यशाला का उद्देश्य

इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को तंबाकू नियंत्रण से संबंधित नियमों और उनके अनुपालन के बारे में जागरूक करना था ताकि वे अपने शिक्षण संस्थानों को तंबाकू मुक्त बना सकें। इस कार्यक्रम को बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक स्टडीज, पटना की ओर से संचालित किया गया, जिसमें प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर चितरंजन सहाय, जिला कोऑर्डिनेटर आशीष कुमार सिंह और संस्था के अशोक कुमार ने भाग लिया।

तंबाकू नियंत्रण कानून और नियमों की विस्तृत जानकारी

कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञों ने तंबाकू नियंत्रण कानून (COTPA – The Cigarettes and Other Tobacco Products Act, 2003) की विभिन्न धाराओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (NTCP) भारत सरकार द्वारा 2007-08 में शुरू किया गया था। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लोगों को तंबाकू के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करना और तंबाकू नियंत्रण कानूनों को प्रभावी रूप से लागू करना है।

कार्यक्रम के तहत बनाए गए कुछ प्रमुख नियम इस प्रकार हैं:

सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध – कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान नहीं कर सकता।

तंबाकू उत्पादों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष विज्ञापन पर रोक – किसी भी प्रकार से तंबाकू उत्पादों का प्रचार-प्रसार नहीं किया जा सकता।

18 वर्ष से कम उम्र के लोगों को तंबाकू उत्पाद नहीं बेचना – दुकानदारों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे नाबालिगों को तंबाकू उत्पाद न बेचें।

शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज के दायरे में तंबाकू उत्पादों की बिक्री व सेवन पर रोक – स्कूल और कॉलेज के आसपास तंबाकू उत्पाद बेचना या उसका उपयोग करना प्रतिबंधित है।

स्वास्थ्य चेतावनी – तंबाकू उत्पादों के पैकेट पर गंभीर स्वास्थ्य चेतावनी का उल्लेख अनिवार्य किया गया है।

तंबाकू से संबंधित रोगों की रोकथाम – तंबाकू सेवन से कैंसर और कई अन्य गैर-संचारी रोग (NCDs) हो सकते हैं, इसलिए इसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।

कार्यशाला के दौरान शिक्षकों ने अपने मन में उठने वाले प्रश्नों को विशेषज्ञों के समक्ष रखा। विशेषज्ञों ने सभी प्रश्नों का समाधान विस्तार से किया और शिक्षकों को उनके विद्यालयों में तंबाकू नियंत्रण नीति को प्रभावी रूप से लागू करने के सुझाव दिए।

विशेषज्ञों के विचार

कार्यशाला को संबोधित करते हुए सदर अस्पताल, सुपौल की गैर-संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. ममता कुमारी ने शिक्षकों को तंबाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में जानकारी दी और उन्हें इस अभियान में सक्रिय भागीदारी निभाने के लिए प्रेरित किया।

जिला सिविल सर्जन-सह-सदस्य सचिव, जिला स्वास्थ्य समिति, सुपौल, डॉ. ललन कुमार ठाकुर ने कहा कि तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए शिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि वे छात्रों को तंबाकू से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करें और उन्हें इसके सेवन से बचाने में सहायता करें।

इस कार्यशाला के माध्यम से यह संकल्प लिया गया कि सुपौल जिले के सभी शैक्षणिक संस्थानों को तंबाकू मुक्त बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। साथ ही, तंबाकू नियंत्रण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान, पोस्टर, सेमिनार और सामुदायिक भागीदारी को भी बढ़ावा दिया जाएगा।

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